Sunday, January 7, 2007

सफर...जिन्दगी का

सफर...
जिंदगी का सफर.....
राही को कभी मंजिल का पता भी नहीं मिल पाता...
फिर भी चलते जाता है...
बस चलते जाता है...
आखिरी सांस तक।
सफर में अनगिनत राही हैं, अकेले भी और किसी के साथ भी
लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे राही निकले जिन्होने सफर चलते अपनी राह को भली भांति जान पाया। बांकी बस चलने भर के लिए चलते गए, मंजिल या राह को जानने के लिए नहीं, न ही पाने के लिए। यदि हमने सफर शुरु की है तो जरा अपने कविवर की सलाह देखें-
पूर्व चलन के बटोही
बाट की पहचान कर ले।
-हरिवंश राय 'बच्चन'

सफर के बारे में बातें आगे होगी।
अभी सफर की शुरुआत से पूर्व हर पथिक के लिए मेरे तरफ से नववर्ष की मंगलकामना---

*** नववर्ष 2007 मंगलमय हो ***
जग उपवन में, जीवन-रण में , हो सदा तेरा उत्कर्ष
सुख-पुष्प-सेज पर शांति-पीयूष बरसाए नववर्ष ।।
****** ****** ****** ******* ******* *****
थकान सभी चुपचाप समाए गत हुए वर्ष के आंचल में।
मिले जोश, स्फूर्ति नया नववर्ष के इस नूतन पल में ।।
तव धीरता, कर्मठता का कीर्ति-रश्मि विकीर्ण हो।
असीम क्षितिज-स्पर्श का अरमान तुम्हारा पूर्ण हो ।।
निज कार्य क्षेत्र में दमके तू बन जाए ऐसा पूंज-प्रखर।
प्राप्त तुझे हो सहज सुलभ निशिदिन उन्नति का नया शिखर ।।
सुस्वप्न सब तेरा फलित हो, परितः अमित उत्कर्ष हो ।
समृद्धि, शांति और खुशियों का सौगात यह नववर्ष हो।।

--- विजय

3 comments:

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

उजाले अपनी यादों को
हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में
जिंदगी की शाम हो जाए

विजय बाबु जम कर लिखें.कविता कहानी और रिर्पोताज़ से ब्लाग को महकाईये.
आपका
गिरीन्द्र नाथ झा

Unknown said...

बन्धु !
क्या बात है?
आपकी कृति अति प्रसंशनीय है,
मै अपने सम्पूर्ण आँफिस की तरफ से आप से भविष्य में इसी प्रकार के उत्तम लेख की कामना करता हूँ।
जय माता दी।

--- विनीत कुमार गुप्ता
Software Engineer
( Samtech Infonet Ltd.)

Sona said...

hi
its really very typical.u r genious dost.nd believe me its ati sundar.really i don't hv words to admire.amazing,worderful dost.u jst keep ball rolling.